दिल के पास हो तुम

तुम मेरे पास नहीं हो
फिर भी हो दिल के पास
बहुत पास- – – –
कुदरत की हर सें में
महसूस करती हूं मैं तुम्हें
फूलों में
तुम्हारे प्यार की खुशबू
बहती हवाओं में
तुम्हारे प्यार की शीतलता
कलकल करती नदिया में
तुम्हारे प्यार की चंचलता
चाँद के चेहरे में
तुम्हारा अक्स
हर जगह,हर चीज में
महसूस करती हूं मैं तुम्हें
तुम दूर कहाँ हो!
यहीं कहीं हो
मेरे दिल के पास
बहुत पास- – – –
महसूस करती हूं मैं
कलियों में
तुम्हारी मुस्कुराहट
पत्तियों की सरसराहट में
तुम्हारी आहट
सूरज की किरणों में
तुम्हारे प्यार का तेज
तुम दूर नहीं हो
यहीं कहीं हो
मेरे दिल के पास
बहुत पास- – – –