असली चेहरा

‘आज इतनी सुबह से ही कौन आ गया?’सोचते हुए मैंने दरवाजा खोला। ‘अरे अवनि तुम….इतनी सुबह से…सब ठीक तो है न…?’
‘बस ऐसे ही….आज आपका हैप्पी बर्थडे है न!सोचा विश कर दूं….एक प्यारा सा बुके मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली वह,हैप्पी बर्थडे मेम….।’
अवनि मेरी एक अच्छी स्टूडेंट है।वह अपनी जिंदगी की हर बात मेरे साथ शेयर करती है।
अवनि अचानक इतनी खुश….आखिर क्या बात हो सकती है!मैं मन ही मन सोचने लगी।अभी पिछले हफ्ते ही तो मिली थी।काफी उदास थी कह रही थी,मेरा इंजीनियर बनने का सपना कभी पूरा नही हो पाएगा शायद।मेरे माँ-बाप के पास इतना पैसा नहीं है कि वह मुझे उच्च शिक्षा दिला सके।
‘अरे मेम!आप कहाँ खो गई….?’अवनि ने मुझे टोका ।विचारों के भंवरजाल में कुछ ऐसी उलझी कि ध्यान ही नहीं रहा कि अवनि सामने खड़ी है।
‘जानती हूं! आप मेरे बारे में ही सोच रही हैं।बहुत फिक्र है न आपको मेरी…।’
‘हर माँ को अपनी बेटी की फिक्र होती है और तुम मेरे लिए बेटी से भी बढ़कर हो….।मेरी आँखों से बरबस ही अश्रुधारा बह निकली।
‘जानती हूं मेम,आप चाहकर भी मेरे लिए कुछ नहीं कर सकती….पर आपको अब फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है।वो मि.घोष हैं न!उन्होंने मुझे अपने इंजियरिंग कॉलेज में एडमीशन दे दिया है और अब मेरी पढ़ाई का सारा खर्च भी वो ही उठाएंगे।’अवनि खुशी से उछलते हुए बोली।घोष सर इंसान नहीं देवता हैं जो कितने ही ऐसे गरीब,बेसहारा लोगों की मदद करते हैं जो टेलेंट होते हुए भी आर्थिक परेशानी की वजह से पढ़ नहीं पाते। हजारों लोगों की जिंदगी आबाद की है उन्होंने।’अवनि बगैर मेरी प्रतिक्रिया जाने अपनी धुन में कहे जा रही थी।
मेरे चेहरे की खुशी पलभर में ही उदासी में बदल गई थी।
‘अरे मेम! क्या हुआ….?’आप तो एकदम से उदास हो गई।’अवनि के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे।
‘जिस मि.घोष को तुम देवता कह रही हो,वह कितने बड़े खिलाड़ी हैं शायद तुम नहीं जानती। मदद के नाम पर मासूम लड़कियों की इज्जत-आबरू से खेलते हैं वह।’मैं अपने-आप से ही बातें कर रही थी।’अभी दो साल पहले ही उनका नाम सुना था मैंने।इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्रा को पढ़ाई के नाम पर घर बुलाकर….ऐसी ही न जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर चुके हैं वह।इतना सबकुछ होने के बाद भी एक आम आदमी समझता है कि मि.घोष बहुत नेकदिल इंसान हैं।’
‘मेम क्या हुआ….कुछ तो बोलो….?’अवनि ने मुझे झंझोड़ा।
‘क…क…कुछ नहीं…बस ऐसे ही…तुम्हें देखकर अपना कॉलेज टाइम याद आ गया।’मैं चाहते हुए भी कुछ न कह सकी।
मासूम अवनि भी उनकी हरकतों से अनभिज्ञ थी।कैसे बताती,क्या कहती….कितनी हसरतों से कैरियर की नई दुनियाँ में कदम रखा था उसने।दिल टूट जाता उसका।फिर बिना किसी पुख्ता सबूत के किसी पर इस तरह इल्जाम लगाना उचित भी तो नहीं था।
अवनि आजकल कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी।मि.घोष की अक्सर तारीफें करती।
कल ही अवनि ने अपने उन्नीसबे जन्मदिन पर एक पार्टी अरेंज की थी।
अवनि की बर्थडे पार्टी पर जाने की खास वजह थी मि.घोष पर नजर रखना।मैं नोटिस कर रही थी कि मि.घोष कातिल नजरों से लगातार अवनि को घूरे जा रहे थे। सबसे पहले उन्होंने ही अवनि को केक खिलाकर विश किया।सर सर करते हुए अवनि भी आते-जाते उनका बराबर ध्यान रख रही थी। अवनि की नजदीकी पाने के लिए उनके दिल की बेताबी को मैं महसूस कर रही थी।उसके करीब आते ही मि.घोष के चेहरे की रंगत ही बदल उठती।
उनकी हरकतें देखकर मेरा दिल किसी अंजानी आशंका से धड़क उठा था। पर मासूम,नादान अवनि उनके नापाक इरादों से बेखबर थी। उसकी नजरों में मि.घोष से अच्छा कोई इंसान ही नहीं था।
अगले ही दिन मैंने उसे अपने घर पर बुलाया। मुझसे रहा न गया।मैं मि.घोष के बारे में सबकुछ नहीं तो बहुत कुछ बताना चाहती थी ताकि अवनि संभल सके।
‘वैसे कल तुम पार्टी में कुछ ज्यादा ही खूबसरत लग रहीं थी….।’
‘थैंक्स मेम…!’अवनि उछलते हुए बोली।
‘और वह हीरे वाला हार….?’
‘वह घोष सर ने बर्थडे पर गिफ्ट किया था।’वह मेरी बात पूरी होने से पहले ही बोल उठी।
‘देखो अवनि,मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं गर तुम मेरी बातों को अदरवाइज न लो तो….।’
‘मेम! इसमें इतना सोचने की क्या जरूरत है।मैंने आज तक आपकी किसी भी बात को अदरवाइज लिया है…! जानती हूं आप कभी मेरा बुरा नहीं सोचेंगी।’
‘अवनि!एक्चुली मि.घोष ऐसे नहीं हैं जैसे तुम समझ रही हो….!’
‘मेम मैं कुछ समझी नहीं….?’
‘वह पढ़ाई में मदद के नाम पर भोलीभाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं….उनके जिस्म से खेलते हैं….!’
‘नहीं मेम जरूर आपको कोई गलतफहमी हुई है’अवनि के हाथ-पैर कांपने लगे’ मि.घोष बहुत अच्छे इंसान हैं। आजतक मुझसे किसी ने उनके बारे में कुछ गलत नहीं कहा।उनकी सफलता देखकर लोग उनसे ईर्ष्या करते हैं। जरूर उनके किसी दुश्मन ने उनके खिलाफ आपको भड़काया होगा।’उसके स्वर में बहुत आत्मविश्वास था।
मेरी बातों से अवनि के दिल को बहुत धक्का लगा था।वह अब भी मेरी किसी भी बात पर यकीन करने को तैयार नहीं थी।
अपने भविष्य को लेकर,कैरियर को लेकर कितने ही सपने संजो रखे थे उसने। आखिर मि.घोष ही तो थे उसके भविष्य के निणार्यक।
‘तुम्हारा दिल तोड़ना मेरा उद्देश्य कतई नहीं था।मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकती हूं।’उसने मेरी बातों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।शायद वह कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं थी।
मेरी नजरों में मि.घोष से बुरा कोई इंसान नहीं था और अवनि की नजरों में वह दुनियाँ के सबसे अच्छे इंसान थे। न ही अवनि अपने कैरियर के साथ समझौता करना चाहती थी और न ही मैं उसे ऐसा करने के लिए मजबूर कर सकती थी।पर अफसोस सिर्फ इतना ही था कि मैं सबकुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी।
अवनि का मुझसे अच्छा हितैषी कोई नहीं था शायद। मि.घोष उस मासूम के साथ कब कौन सी चाल चल बैठे मन में हमेशा यही डर बना रहता।
अवनि कभी-कभी मुझसे मिलने घर पर जरूर आ जाया करती।
एक दिन मैं घर पर बैठी उसके बारे में ही सोच रही थी तभी अचानक उसका फोन आया। ‘मेम प्लीज हेल्प मी…वह बहुत घबराई हुई थी। अचानक उसका फोन कट गया।ऐसा लग रहा था किसी ने उसका मोबाइल फोन छुड़ाकर काट दिया हो।
अवनि कहाँ होगी,कैसी होगी….?मेरा दिल किसी अनहोनी आशंका से धड़क उठा
कहीं मि.घोष अवनि के साथ…मैंने बिना देर किए अपनी गाड़ी मि.घोष के घर की तरफ मोड़ दी।
मि.घोष को मैंने अवनि के साथ जिस हालत में देखा,कुछ पल को तो आँखों को यकीन ही नहीं हुआ।
‘मिसेज शर्मा!आप यहां पर….।’मुझे देखते ही जैसे उनके चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी थी।
‘अच्छा तो आपकी कोचिंग क्लास में यह सब होता है….भोलीभाली,बेबस,लाचार लड़कियों की मदद के बदले में आप यह कीमत वसूलते हैं। धिक्कार है आपको मि.घोष।’
‘मिसेज शर्मा! आप मेरे और अवनि के बीच में दखल न दें तो अच्छा है।’
‘क्यों न दूं…?अवनि मेरे लिए बेटी से भी बढ़कर है।और तुम उसके पिता की उम्र के होकर ऐसी हरकत कर रहे हो,शर्म आनी चाहिए तुम्हें।’
‘प्यार की कोई उम्र नहीं होती। वह जात-पात,रिश्ते-नाते उम्र नहीं देखता इसलिए कहते हैं प्यार दीवाना होता है।’ मि.घोष बेशर्मी से बोले।मैं अवनि से प्यार करता हूं।’
‘शटअप!अवनि ने मि.घोष को जोरदार तमाचा जड़ते हुए कहा’आई हेट यू!मैंने आप जैसे धोखेबाज व्यक्ति पर भरोसा करके बहुत बड़ी गलती की है।’
‘अवनि!जानती हो तुम किससे बातें कर रही हो।’मि.घोष चीखे’तुम्हारा फ्यूचर,तुम्हारा कैरियर सबकुछ मेरे हाथ में है सबकुछ।मैं चाहूं तो तुम्हारी जिंदगी सवार सकता हूं,मैं चाहूं तो तुम्हारी जिंदगी नरक बना सकता हूं।एक बार अच्छे से सोच लो!बहुत महंगा पड़ेगा मुझसे दुश्मनी मोल लेना।’
‘मैं जो कुछ भी बोलती हूं बहुत सोच-समझकर ही बोलती हूं मि.घोष और फिर आप कौन होते हैं मेरे फ्यूचर को बनाने और बिगाड़ने वाले।मैं खुद अपने भविष्य की निर्माता हूं। मुझे आप जैसे लोगों की मदद और सहानुभूति की कोई जरूरत नहीं है।भरोसा है मुझे अपने-आप पर।’
मि.घोष एक हारे हुए जुआरी की तरह खड़े थे और मैं मन ही मन अवनि की हिम्मत और आत्मविश्वास की दाद दे रही थी।
‘शाबाश अवनि मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।’मैंने अवनि की पीठ थपथपाते हुए कहा।
अफसोस इस बात का है मेम कि मैंने आपकी बातों पर भरोसा नहीं किया।पर जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।इस घटना से एक सबक तो मुझे मिला है,बिना सोचे-समझे किसी पर भी भरोसा नही करना चाहिए।ऐसे लोग अक्सर भोली-भाली लड़कियों को मदद के नाम पर अपने जाल में फंसाते है फिर उनकी इज्जत पर हमला करते हैं।
मैं तो हर लड़की से यही कहना चाहूंगी कि अपने आप पर भरोसा रखें। अपनी मदद खुद करें।धीरे-धीरे ही सही एक दिन मंजिल तक पहुंच ही जाएंगे।
अवनि के साथ-साथ मैं भी काफी सुकून महसूस कर रही थी,आज अवनि और उसके जैसी कई लड़कियों को बहुत बड़ा सबक मिला था।
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